उठ जा तू भी अपने सेज से लेकर फूलों का हार अभी। उठ जा तू भी अपने सेज से लेकर फूलों का हार अभी।
सुरभित हैं दिग दिगन्त आ गया बसंत सुरभित हैं दिग दिगन्त आ गया बसंत
मेरे सपने मुझे सताते हैं , सारी-सारी रात जगाते हैं । मेरे सपने मुझे सताते हैं , सारी-सारी रात जगाते हैं ।
हाथ हिलाते हुए विदा हुआ था ! हाथ हिलाते हुए विदा हुआ था !
सहेजकर दिल में अक्षर-अक्षर सहेजकर दिल में अक्षर-अक्षर
क्या तुम्हेंं पता है ? रोज-रोज चीं -चीं कर शोर मचाने वाला चिड़ा आज इतना खामोश क्यों क्या तुम्हेंं पता है ? रोज-रोज चीं -चीं कर शोर मचाने वाला चिड़ा आज इतना...